Beti Bachao Scheme

बेटी बचाओ योजना

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम महज कागजी ना होकर राजस्थान के धरातल पर भी अपना रंग बिखेरती हुई नजर आ रही है आज ऐसी मुहिम सही मायनों में समाज की दिशा एवं दशा बदलने में कारगर साबित हुई हैं अगर एक दशक पीछे की बात करें तो जैसलमेर के देवड़ा गांव पर लगा इतना बड़ा कलंक जो मानव सभ्यता और संस्कृति के लिए किसी शर्मनाक स्थिति से कम नहीं था कि 110 सालों से उस गांव में बारात नहीं पहुंची बिटिया जन्म उन लोगों के मन में अभिशाप से कम नहीं था लेकिन वर्तमान में चल रही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी मुहिमों की बदौलत ही जागरूकता बढ़ी है जिसका जीता जागता उदाहरण जैसलमेर के देवड़ा गांव के प्रधान इंद्र सिंह जी( हाल जैसलमेर निवासी) ने अपनी पुत्री की शादी अपने पैतृक गांव देवड़ा में बारात बुलवाकर इस कलंक को धोया जो बहुत ही सराहनीय कदम था।

कैसे हालातों से जूझकर उन्होंने इस कलंक को धोया प्रणाम है महाशय की इस महिला सशक्तिकरण वाली सोच को।

आज शिक्षा का स्तर इतना बढ़ गया है कि महिलाएं आज कंधे से कंधा मिलाकर आज हर क्षेत्र में अपना सर्वस्व योगदान दे रही हैं। आज गांव के विद्यालयों में बेटों से ज्यादा बेटियों का नामांकन एवं शैक्षिक ठहराव है जो बालिका शिक्षा के साथ साथ उनके सुनहरे एवं रुपहले भविष्य प्रति सराहनीय कदम है। उम्मीद और विश्वास है कि महिला शक्ति को हौसला यूंही मिलता रहेगा जिससे पितृ सत्तात्मक अवधारणा के साथ साथ मातृ सत्तात्मक अवधारणा को भी संबल दे ताकि बेटियों को अपने पूरे अधिकार मिल सकें।