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भोमियो जी महाराज मंदिर

गांव के लोकप्रिय लोक देवता भोमियो जी महाराज का मंदिर गांव उड़सर में स्थित है | भोमियो जी महाराज के बारे मैं कहा जाता की उनकी हत्या मालिया ( घर के दूसरे तल्ले पे बना मकान ) में की गयी थी और उसके पश्चात जब वो भोमिया बने तो गांव में उनको रहने वाला कोई भी ग्रामवासी अपने घर छत पे कोई मकान नहीं बनाता | गांव के लोग गत तक़रीबन चार सौ सालों से इस परम्परा को मानते आ रहे हैं और आज भी गांव उड़सर लोडेरा में किसी भी घर पे सेकंड फ्लोर पे मकान नहीं हैं |

गत वर्षों में यह बात नेशनल मीडिया के बहुत से संस्करणों में सुर्खियां बटोर चुकी है| शुरुआती दौर में भोमियो जी महाराज की पूजा एक खेजड़ी के पेड़ के निचे होती थी पर अभी ग्रामवासियों के सहयोग से यहां पे भव्य मंदिर हुआ है |

दादी महासती का मंदिर

भोमियो जी महाराज की हत्या के बाद उनकी माता जी ने अपने आप को आग के हवाले कर दिया और वो महासती हो गयी | तभी से उनकी पूजा भोमियो जी महाराज के साथ की जाती रही है| दादी महासती का मंदिर गांव उड़सर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में अवस्थित है |

गांव क़े लोग संकट के समय हमेशां दादी महासती की विशेष पूजा अर्चना करते हैं और लोगों का ऐसा विश्वास है की उनकी मन्न्नते कभी अधूरी नहीं रहती |

त्रिलोकी धाम

गांव के ठीक मध्य भाग में स्थित यह मंदिर स्थल गांव की सुंदरता में चार चाँद लगाता हुआ नजर आता है| इस मंदिर परिसर  में तीन भव्य मंदिर बने हैं जिसमें सबसे पहले बना मंदिर संकट मोचन बजरंग बली का है | जिसका निर्माण गांव के अप्रवासी परिवार द्वारा करवाया गया था | कॉम्प्लेक्स में बना दूसरा मंदिर भगवान शिव का है जिसका निर्माण ग्रामवासियो के सहयोग से किया गया था |

परिसर में बना तीसरा मंदिर मां ब्रह्माणी का है जिसका निर्माण ग्रामवासियो के सहयोग से किया गया था | समस्त गांव के लोग यहां पूजा अर्चना के लिए आते रहते हैं | त्योहारों के मौकों पर यहां के प्रोग्राम आकर्षण का केंद्र रहते हैं |

गुसाईं जी महाराज का मंदिर

किसी समय में येह मंदिर गांव का सब से ऊँचा व सबसे भव्य मंदिर हुआ करता था | गावं के वर्तमान सवरूप में और बड़े मंदिर बन जाने के बाद भी  येह मंदिर आज भी अपनी पुरातन स्थापत्य कला व विशालता में बाकी अन्य मंदिरों से कमतर नहीं है |

इस मंदिर परिषर में भी तीन विशाल मंदिर बने हुए हैं जो गुसाईं जी, करणी माता और संत चन्दरनाथ जी की समाधी के रूप में हैं | साल में एक बार यहां गुसाईं जी महाराज के विशाल जागरण का आयोजन होता है जिसमें गांव के लोग बढ़चढ़कर भाग लेते हैं |

ठाकुर जी महाराज का मंदिर

गांव के मध्य भाग में स्थित ठाकुर जी महाराज का मंदिर गांव के सबसे पुराने मंदिरों में है| गांव के मुख्य पुजारी परिवार द्वारा इस मंदिर में रोज सुबह शाम आरती की जाती है |

गांव में होने वाले किसी भी सार्वजनिक कार्य के लिए चौपाल इसी मंदिर की चौकी पे बैठती है और गावं के लोगों में इस मंदिर के प्रति अगाढ़ श्रद्धा है |

बाबा रामदेव मंदिर

लोक देवता और देवियां राजस्थान के लोगों के रोम रोम में बसे हुए हैं । गांव की गुवाड़ में खेजड़ी के पेड़ के नीचे गोगाजी, तेजाजी, रामदेवजी आदि लोक देवताओं के मंदिर यहां की समृद्ध लोक संस्कृति का परिचायक है । गांव में वैसे तो बहुत सारे मंदिर है लेकिन मुख्य सड़क पर स्थित बाबा रामदेव जी का मंदिर साम्प्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है जहां साल में दो बार भव्य रात्रि जागरण का आयोजन किया जाता है साथ ही माघ मास में एक दिवसीय मेले का आयोजन होता है। जिसमे आस पास के गांवों से सैंकड़ों श्रद्धालु आते हैं। सन् 2013 में ग्रामीणों एवम आमजन के सहयोग से नव मंदिर का निर्माण तथा पुराने मंदिर का सौंदर्यकरण करवाया गया । मंदिर का मुख्य सड़क पर स्थित होने की वजह से धार्मिक यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं का रुकना आम बात है। मंदिर कमेटी ने मंदिर में आकर्षक बगीची के साथ साथ श्रद्धालुओं के रहने की शानदार व्यवस्था कर रखी है ग्राम पंचायत ने भी  मंदिर में सुलभ शौचालय एवं जैसंसरिया परिवार सरदारशहर ने ठंडे पानी की व्यवस्था हेतु शीतल पेय जल की प्याऊ का निर्माण करवाया है। मंदिर की आरती जयसंगसर गांव के कामड़ जाति के ओमप्रकाश जी द्वारा की जा रही है ।